गिलास को ऊपर तक भरें और पानी का स्तर ध्यान से देखें. इसके बाद उसमें से एक चम्मच पानी निकाल दें. क्या आप इससे पानी के स्तर में आए बदलाव को महसूस कर सकते हैं? शायद आप कर सकते हैं या शायद नहीं. आप अपनी रसोई के ‘सिंक’ या बाथरूम में मौजूद ‘बाथ टब’ में भी यह प्रयोग दोहरा सकते हैं. मुख्य बात यह है कि पानी के स्तर में यकीनन गिरावट आती है, लेकिन बेहद कम मात्रा में. अगर आप ‘बाथ टब’ में से एक चम्मच पानी निकाल देते हैं, तो आप शायद जल स्तर में आए अंतर को नहीं भांप पाएंगे. करोड़ों बाल्टी जितना पानी समाता है.
-चलिए, समुद्र पर लौटते हैं. यह (समुद्र) वाकई बहुत विशाल होता है, खासकर बाल्टी की तुलना में. मान लीजिए, आपके पास एक बाल्टी है, जिसमें दस लीटर पानी आता है. अगर इस बाल्टी के हिसाब से देखें तो धरती पर मौजूद सभी महासागरों में कुल 137 मिलियन, मिलियन, मिलियन बाल्टी पानी होने का अनुमान है. और ऐसे में अगर आप समुद्र में से एक बाल्टी पानी निकाल लें, तो उसके जल स्तर में लगभग 0.0000000000277 मिलीमीटर की कमी आएगी.
आप अपने ‘पेंसिल बॉक्स’ में रखे ‘स्केल’ पर देख सकते हैं कि एक मिलीमीटर का माप कितना छोटा होता है. पृथ्वी पर हमारे पास ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इतनी छोटी (0.0000000000277 मिलीमीटर की) वस्तु को माप सके. यह तो एक अणु से भी कइयों गुना छोटी वस्तु होगी. तो, एलिस के सवाल का जवाब यह है कि पानी के स्तर में ‘यकीनन’ कमी आती है, लेकिन इसकी मात्रा इतनी छोटी होती है कि हम इसे माप भी नहीं सकते. समुद्र के जलस्तर में बदलाव हो रहा है.
-पृथ्वी वाकई में बहुत ही दिलचस्प ग्रह है. जब आप अपनी बाल्टी में पानी भरते हैं, तो यह सारा पानी एक प्रक्रिया से होकर गुजरता है, जिसे जलचक्र कहा जाता है. समुद्र का जलस्तर वास्तव में लगातार बदलता रहता है. हर साल समुद्र से बहुत सारा पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है. कुछ पानी तो अंतरिक्ष में भी चला जाता है. हालांकि, वाष्प बनकर उड़ने वाला अधिकांश पानी वापस सीधे समुद्र में या फिर धरती पर बरस जाता है, और धरती से यह नदी में बहते हुए आखिरकार फिर से समुद्र में पहुंच जाता है. बड़ी मात्रा में पानी जमीन के नीचे भी जमा होता है और उसमें से भी कुछ हिस्सा धीरे-धीरे फिर से समुद्र में पहुंच जाता है. ऐसे में अगर आप अपनी बाल्टी का पानी जमीन पर उड़ेल दें, तो अंतत: यह जल चक्र के जरिये वापस समुद्र में पहुंच जाएगा.
कुछ दिलचस्प तथ्य
-पानी की एक बूंद में हाइड्रोजन डाइऑक्साइड (HO2) के 1.5 मिलियन, मिलियन, मिलियन यानी 1,500,000,000,000,000,000 अणु होते हैं. माना जाता है कि धरती पर पानी सबसे पहले 1.6 अरब साल से भी अधिक समय पूर्व बारिश के रूप में गिरा था. पृथ्वी पर अधिकांश ताजा पानी (लगभग 98 फीसदी) भूजल के रूप में मौजूद है.
]]>बेल्जियम सरकार ने यह भी बताया कि चोकसी को कानूनी सलाहकार तक पहुंच दी गई है. भारतीय अधिकारियों ने उसके प्रत्यर्पण के लिए जरूरी दस्तावेज भी बेल्जियम को सौंप दिए हैं, जिसमें मुंबई की अदालत की ओर से जारी गिरफ्तारी वारंट भी शामिल हैं.
एंटीगुआ से बेल्जियम तक
चोकसी 2018 में भारत से भागकर एंटीगुआ में रह रहा था. हाल ही में वह इलाज के लिए बेल्जियम आया, जहां उसकी गिरफ्तारी हुई. पीएनबी घोटाले में वह अपने भतीजे नीरव मोदी के बाद दूसरा बड़ा आरोपी है.
भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने चोकसी की गिरफ्तारी को भारत की कूटनीतिक सफलता बताया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विदेश नीति के तहत यह एक अहम उपलब्धि है.
मानवाधिकारों को लेकर बचाव की तैयारी
मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि वह बेल्जियम में हिरासत में है और प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील दायर की जाएगी. उन्होंने दावा किया कि भारत में जेल की स्थिति खराब है और यह मामला राजनीति से प्रेरित है, इसलिए उनका बचाव (मानवाधिकारों का उल्लंघन और राजनीतिक दबाव) दो आधारों पर किया जाएगा.
विजय अग्रवाल ने कहा, “यह केस लंबे समय से चल रहा है. हमने हमेशा कोर्ट में कहा है कि मेहुल जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं, लेकिन मेडिकल कंडीशन के कारण वह यात्रा नहीं कर सकते हैं. वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरीए जांच में शामिल होंगे.” उन्होंने कहा, “मेहुल चौकसी बीमार हैं और कैंसर का इलाज करवा रहे हैं. हम जो अपील करेंगे उसमें यह अनुरोध किया जाएगा कि मेहुल को हिरासत में न रखा जाए. अपील का स्पष्ट आधार ये होगा कि मेहुल चौकसी के भागने का जोखिम नहीं है.”
सीबीआई और ईडी की कार्रवाइयां
बता दें कि चोकसी और उसकी कंपनी गीतांजलि जेम्स के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने 2018 में मामला दर्ज किया था. अब तक सीबीआई दो और ईडी तीन आरोपपत्र दाखिल कर चुके हैं. इस घोटाले में फर्जी एलओयू और एफएलसी जारी कर बैंकों को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया.
]]>संक्षेप में हुई बातचीत
ईरान के सरकारी टेलीविजन चैनल ने दोनों देशों के बीच हुई इस बातचीत की जानकारी दी। ईरान के सरकारी ब्रॉडकास्टर ने यह जानकारी दी कि कि पश्चिम एशिया के लिए अमेरिकी राजदूत स्टीव विटकॉफ और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने ‘‘संक्षेप में बातचीत’’ की। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के बाद से यह पहली बार है कि दोनों देशों ने परमाणु कार्यक्रमों को लेकर आमने सामने की बातचीत की है।
खबर में बताया गया कि भले ही दोनों पक्षों के बीच यह बातचीत संक्षिप्त रही लेकिन अच्छी रही। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आधिकारिक दफ्तर एवं आवास व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर दोनों देशों की बातचीत को ‘‘बेहद सकारात्मक और रचनात्मक’’ करार दिया। हालांकि बयान में यह भी कहा गया कि जिन मुद्दों का हल तलाशा जाना हैं वे ‘‘बेहद जटिल हैं।’’
सही दिशा में हो रही बातचीत-ट्रंप
व्हाइट हाउस ने कहा, ‘‘विशेष दूत विटकॉफ का आज का सीधा संवाद पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है।’’ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लए मियामी जाते समय ‘एयर फ़ोर्स वन’ विमान में संवाददाताओं से कहा कि बातचीत ‘‘सही दिशा में हो रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं आपको नहीं बता सकता क्योंकि जब तक ये पूरी नहीं हो जाएं तब तक कुछ भी मायने नहीं रखता इसलिए मुझे इसके बारे में बात करना पसंद नहीं है लेकिन ये ठीक दिशा में हो रही हैं।’’
19 अप्रैल को होगी अगले दौर की बातचीत
ईरान और अमेरिका की ओर से जारी बयानों के मुताबिक दोनों देशों के बीच अगले दौर की बातचीत अगले शनिवार 19 अप्रैल को होगी। ईरान के विदेश मंत्री और अमेरिकी राजदूत के बीच पहली दौर की बातचीत ओमान की राजधानी मस्कट के बाहरी इलाके में स्थित एक जगह पर दो घंटे से ज्यादा समय तक हुई। यह बातचीत स्थानीय समयानुसार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे शुरू हुई और शाम करीब 5:50 बजे समाप्त हुई।
ओमान के विदेश मंत्री बदर अल-बुसैदी ने कहा कि दोनों देशों का लक्ष्य है कि एक निष्पक्ष और बाध्यकारी समझौते को अंतिम रूप दिया जाए। अल-बुसैदी ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘ मैं इस बातचीत के लिए दोनों सहयोगियों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। यह वार्ता अंततः क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थिरता हासिल करने के पक्ष वाली थी।’’ दरअसल ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को लेकर दोनों देशों के बीच खासा तनातनी है। ट्रंप ने बार-बार धमकी दी है कि अगर कोई समझौता नहीं हुआ तो अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाकर हवाई हमले करेगा। वहीं ईरानी अधिकारी भी लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि वे अपने यूरेनियम भंडार को संवर्धित करके परमाणु हथियार बना सकते हैं।
]]>26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड में से एक, राणा, अब दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित एनआईए मुख्यालय के उच्च सुरक्षा सेल में बंद है। लेकिन उसका रहन-सहन और मांगें कुछ और ही कहानी बयां करती हैं-एक शांत, धार्मिक मुखौटा, जिसके पीछे छुपा है एक गहरी साजिश का जाल। आइए जानते हैं क्या है ‘मास्टरशेफ’ की 3 फरमाइश….
एनआईए बनाम राणा – दूसरे दिन की पूछताछ, 3 फरमाइश….
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 26/11 के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा से दूसरे दिन भी घंटों पूछताछ की। इस समय वह नई दिल्ली के CGO कॉम्प्लेक्स स्थित एनआईए मुख्यालय की हाई-सिक्योरिटी कोठरी में बंद है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “उसे आम आरोपी की तरह ट्रीट किया जा रहा है। कोई VIP ट्रीटमेंट नहीं। लेकिन जो मांगा, वो दिया गया-कुरान, कलम और कागज।” उसकी कोठरी में लगे कैमरे और पहरेदार हर गतिविधि पर निगाह बनाए हुए हैं। उसकी हर हरकत-हर नमाज़, हर पन्ने पर चलती कलम-जांच के दायरे में है।
टाइमलाइन: तहव्वुर राणा और 26/11 की परछाई
धार्मिक’ या रणनीतिक? – क्या सोच रहा है राणा?
एनआईए के सूत्रों का कहना है कि राणा एक ‘धार्मिक आदमी’ की तरह पेश आ रहा है। हर दिन पांच बार नमाज, कुरान का अध्ययन और कलम से कुछ लिखना। लेकिन, जांच एजेंसी जानती है कि एक आतंकी की डायरी सिर्फ प्रार्थना की किताब नहीं होती। ‘हम हर शब्द स्कैन कर रहे हैं जो वो लिख रहा है,’ एक अधिकारी ने बताया। ‘इसमें कुछ छुपा है – शायद कोड, शायद इशारे।’
तहव्वुर हुसैन राणा कौन है?
अंतिम सवाल: क्या कुरान की मांग एक नई शुरुआत है या साजिश की अगली कड़ी?
जेल में बिरयानी मांगने वाले कसाब से लेकर कुरान मांगने वाले राणा तक-इन चेहरों के पीछे छुपे इरादों को समझना आसान नहीं। एनआईए हर शब्द, हर इशारे को जांच रही है-क्योंकि भारत 26/11 को फिर से नहीं झेल सकता।
हेलीकॉप्टर में बैठे बच्चे और उनकी फैमिली स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी क चारों ओर चक्कर लगाकर उसे गौर से निहार रहे थे. फिर हडसन नदी के किनारे उत्तर की ओर जॉर्ज वाशिंगटन ब्रिज की तरफ जाने लगा. जैसे ही हेलीकॉप्टर दक्षिण की ओर मुड़ा तो ब्लेड हवा में अलग हो गए, फिर हेलीकॉप्टर उलटा होते हुए न्यू जर्सी के पास नदी में जा गिरा.
ब्लेड अलग होने के बाद नदी में समा गया हेलीकॉप्टर
हेलीकॉप्टर क्रैश का जो वीडियो सामने आया है, उसमें हेलीकॉप्टर नदी में गिरता हुआ नजर आ रहा है. नदी में गिरने से पहले ही हेलीकॉप्टर के पहले ब्लेड उससे अलग हो गए, वहीं बाकि हिस्से भी हवा में दिखाई दे रहे हैं. प्लेन हवा में उलटते हुए सीधा नदी में जा गिरा, हेलीकॉप्टर के नदी में गिरने से उसमें सवार 6 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. हेलीकॉप्टर क्रैश में मरने वालों में तीन बच्चे, एक पायलट और स्पेन से आए एक ही फैमिली मेंबर शामिल हैं.
आसमां से शहर के खूबसूरत नजारे को देखते हुए गई जान
सीएनएन के मुताबिक, यह हादसा देर दोपहर पियर 40 के पास हुआ. क्रैश हेलीकॉप्टर का नाम एक बेल 206एल-4 लॉन्गरेंजर IV था. यह हेलीकॉप्टर टूरिस्टों को शहर का एयर टूर कराने के लिए लेकर आया था. ये लोगों को लेकर लोअर मैनहट्टन से उड़ा था. इसने स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के चारों ओर चक्कर लगाया और फिर हडसन नदी के किनारे उत्तर की ओर जॉर्ज वाशिंगटन ब्रिज की तरफ गया. इसके बाद यह दक्षिण की ओर मुड़ा और न्यू जर्सी के पास नदी में जा गिरा.
]]>बता दें कि पीड़िता की शादी 9 नवंबर 2023 को हापुड़ के पूर्व विधायक प्रत्याशी श्रीपाल के बेटे विशाल से हुई थी. महिला का आरोप है कि शादी के बाद से ही ससुराल पक्ष दहेज के लिए उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था. उससे गाजियाबाद के इंदिरापुरम में फ्लैट और 50 लाख रुपये नकद की मांग की गई.
पीड़िता का कहना है कि ससुराल वालों ने यह कहकर दबाव बनाया कि उसकी बुआ मायावती बड़ी नेता हैं और उनके पास खूब पैसा है, इसलिए वह आसानी से दहेज दे सकती है. जब उसने इसका विरोध किया, तो उसे धमकाया गया और झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी भी दी गई. पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि उसका पति शादी से पहले स्टेरॉयड के इंजेक्शन लेता था जिसकी वजह से वह नपुंसक हो गया और इस बात को छिपाया गया. कोर्ट के आदेश पर हापुड़ नगर कोतवाली में बीएनएस की कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.
पीड़िता के वकील राजीव शर्मा ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर पति समेत कुल 7 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. वहीं, हापुड़ के सीओ सिटी जितेंद्र शर्मा ने बताया कि जांच शुरू कर दी गई है और आगे की कार्रवाई सबूतों के आधार पर की जाएगी.
]]>पेशी के बाद कोर्ट ने तहव्वुर हुसैन राणा को 18 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. जांच एजेंसी NIA ने 20 दिन की हिरासत मांगी थी. बंद कमरे में मामले की सुनवाई हुई और गुरुवार देर रात 2 बजे फैसला सुनाया गया है. जांच एजेंसी की टीम कल सुबह से राणा से पूछताछ करेगी.
अमेरिकी गल्फस्ट्रीम G550 विमान बुधवार को तहव्वुर राणा को लेकर भारत के लिए रवाना हुआ था. यह विशेष विमान गुरुवार शाम 6.22 बजे दिल्ली के पालम टेक्निकल एयरपोर्ट पर लैंड हुआ. लैंड करने के कुछ देर बाद वह 6.30 पर प्लेन से बाहर निकला. फिर औपचारिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद शाम 6.40 बजे उसे UAPA के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. उसका एयरपोर्ट पर ही मेडिकल टेस्ट कराया गया.
IG-DIG लेवल के अधिकारी करेंगे पूछताछ
खास बात यह है कि तहव्वुर राणा को अमेरिका से ही कैदियों की ड्रेस में ही अमेरिका से दिल्ली लाया गया. एयरपोर्ट पर मेडिकल टेस्ट कराए जाने के बाद कड़ी सुरक्षा में उसे दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में लाया गया. स्पेशल NIA जज चंद्रजीत सिंह की कोर्ट में रात साढ़े 10 बजे उसकी पेशी की गई. कोर्ट में काफी देर तक सुनवाई चली.
तहव्वुर को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120B, 121, 121A, 302, 468 और 471, साथ ही UAPA की धारा 16,18 और 20 के तहत गिरफ्तार किया गया. दिल्ली लीगल सेल की ओर से तहव्वुर की पैरवी के लिए एक वकील की व्यवस्था की गई है. वकील पीयूष सचदेवा कोर्ट में उसकी पैरवी करेंगे.
आंतकी तहव्वुर से एनआईए के हेडक्वॉक्टर में ही पूछताछ करने की व्यवस्था की गई है. हेडक्वॉक्टर के तीसरे फ्लोर पर जांच एजेंसी के आईजी और डीआईजी लेवल के अधिकारी आज रात से ही पूछताछ शुरू करेगी. इसके लिए हेडक्वॉक्टर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. तीसरे फ्लोर पर पूछताछ के लिए सेटअप भी तैयार कर लिया गया है. यहां पर वह लगातार 24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में रहेगा. कहा जा रहा है कि तहव्वुर से कम से कम 30 सवालों के जवाब मांगे जाएंगे.
कोर्ट कैंपस से हटाए गए मीडियाकर्मी
इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट में तहव्वुर को पेश किए जाने से पहले पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मीडियाकर्मियों और आम लोगों को कोर्ट कैंपस से हटा दिया. मीडियाकर्मियों से (कैंपस से) बाहर जाने के लिए कहते समय पुलिस ने बताया कि वह यह सुनिश्चित कर रही है कि कोर्ट कैंपस पूरी तरह से खाली रहे.
पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट कैंपस में लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित करने के लिए सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया और कहा कि किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इस बीच एनआईए का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन और विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान पहले ही कोर्ट कैंपस में पहुंच गए थे. हालांकि, उन्होंने कोई कमेंट नहीं किया.
NIA-NSG की टीम लेकर आई दिल्ली
अमेरिका से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद एनआईए ने बताया कि 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित कराने के बाद भारत लाया गया. फिर उसे यहां पर औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया. एजेंसी ने बताया कि तहव्वुर को एनआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एनएसजी) की टीम दिल्ली लेकर आई है.
एनआईए के मुताबिक, एजेंसी की टीम ने सभी जरूरी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद तहव्वुर को विमान से उतरने के तुरंत बाद ही गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले एजेंसी ने अपने एक बयान में बताया कि साल 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता को न्यायिक प्रक्रिया के दायरे में लाने के लिए कई सालों के लगातार और ठोस कोशिशों के बाद यह प्रत्यर्पण हो सका. 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे.
पूछताछ में PAK की भूमिका सामने आने की उम्मीद
भारत आने के बाद तहव्वुर को देश में न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा. साथ ही जांचकर्ताओं को यह उम्मीद है कि उससे पूछताछ में 26/11 के आतंकी हमलों में पाकिस्तान के सरकारी तत्वों की भूमिका भी उजागर हो सकती है. सूत्रों का कहना है कि जांचकर्ताओं को यह भी उम्मीद है कि पूछताछ में आतंकी हमलों से पहले तहव्वुर की उत्तर और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों की यात्राओं के बारे में अहम सुराग मिलेंगे.
सूत्रों का कहना है कि आतंकी तहव्वुर राणा ने आतंकी हमलों से पहले 13 नवंबर से 21 नवंबर 2008 के बीच अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ हापुड़ और आगरा के अलावा दिल्ली, कोच्चि, अहमदाबाद और मुंबई का दौरा किया था.
न्याय पाने की दिशा में अहम कदमः अमेरिका
तहव्वुर राणा के दिल्ली पहुंचने पर अमेरिका ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह प्रत्यर्पण इस बर्बर आतंकी हमले के पीड़ितों के लिए न्याय पाने की दिशा में एक अहम कदम है. यूएस न्याय विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका ने कल बुधवार को पाकिस्तान मूल के कनाडाई नागरिक राणा को मुंबई हमलों में उसकी कथित भूमिका से जुड़े 10 आपराधिक आरोपों पर केस चलाने के लिए भारत प्रत्यर्पित किया.
अमेरिकी न्याय विभाग के प्रवक्ता ने पीटीआई से कहा, “तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण उन 6 अमेरिकियों और कई अन्य पीड़ितों के लिए न्याय पाने की दिशा में एक अहम कदम है, जो इन बर्बर हमलों में मारे गए थे.” वहीं भारत के पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने उम्मीद जताते हुए कहा कि तहव्वुर राणा को निश्चित रूप से दोषी ठहराया जाएगा. उसे इस जघन्य आतंकीकृत्य में शामिल होने के लिए मौत की सजा भी दी जा सकती है.
दूसरी ओर, भारत में इजराइल के राजदूत रियुवेन अजार ने 64 साल के तहव्वुर राणा के भारत भेजे का स्वागत किया. नई दिल्ली स्थित इजराइली दूतावास ने वीडियो मीडिया से साझा किया, जिसमें राजदूत अजार ने कहा, “हम 26 नवंबर 2008 को मुंबई के बर्बर आतंकी हमलों के एक आरोपी के भारत प्रत्यर्पण किए जाने के बारे में सुनकर खुश हैं, जिसमें इजराइलियों समेत कई निर्दोष नागरिक मारे गए थे.” साथ ही उन्होंने आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने की प्रतिबद्धता के लिए” भारत सरकार का आभार भी जताया.
]]>जानकारी के अनुसार, डेरा प्रमुख राम रहीम पर हरियाणा सरकार एक बार फिर मेहरबान दिखी है और राम रहीम को 21 दिन की फरलो दी गई है. बुधवार को रोहतक की सुनारिया जेल से बाबा बाहर आया है और इस दौरान उसे हनीप्रीत ने रिसीव किया. सुबह-सुबह पुलिस सुरक्षा के बीच बाबा सिरसा डेरा की तरफ रवाना हुआ है और इस बार भी बाबा का डेरा यहीं लगने वाला है. क्योंकि 29 अप्रैल को डेरा सच्चा सौदा का स्थापना दिवस है और ऐसे में डेरे में बड़े कार्यक्रम होने की संभावना है. फिलहाल, डेरे के आसपास पुलिस की मूवमेंट भी बढ़ गई है.
गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी बाबा को 30 दिन की पैरोल दी गई थी. उस दौरान बाबा लंबे समय बाद अपने सिरसा आश्रम में रहा था. उधर, इस बार भी बाबा के प्रवचन देने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा.
लगातार मिल रही पेरोल और फरलो
बाबा राम रहीम 2017 से जल में बंद है. हालांकि, उसे लगातार फरलो और पेरोलह मिलती रहती है. 2020 से लेकर अब तक बाबा को 300 दिन की पेरोल और फरलो मिल चुकी है. हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भी बाबा जेल से बाहर आया था. सबसे अहम बात है कि हर बार चुनावों के आसपास बाबा को जेल से बाहर आने की अनुमति दी जाती है.
गौरतलब है कि सिंतबर 2017 में बाबा को साध्वी यौन शोषण केस और पत्रकार हत्याकांड में सजा हुई थी. इसके बाद से बाबा को जेल भेजा गया था. ऐसे में बीते सात साल से राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में सजायाफ्ता है.
]]>पुर्तगाल की अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू यूरोपीय देश के राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा से मुलाकात करेंगी और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगी। वह पुर्तगाल के प्रधानमंत्री लुइस मोंटेनेग्रो और नेशनल असेंबली के अध्यक्ष जोस पेड्रो एगुइर-ब्रैंको से भी मुलाकात करेंगी। किसी भारतीय राष्ट्रपति की पुर्तगाल यात्रा 27 वर्षों के अंतराल के बाद हो रही है। यह ऐसे समय हो रही है जब भारत और पुर्तगाल राजनयिक संबंधों की पुनः स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। भारत और पुर्तगाल के बीच ऐतिहासिक और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंध हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में आधुनिक और गतिशील साझेदारी में बदल गए हैं। यह यात्रा पुर्तगाल के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को और गति प्रदान करेगी।
स्लोवाकिया में राष्ट्रपति मुर्मू देश के राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी और प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगी। भारत के किसी राष्ट्रपति की 29 साल में यह पहली स्लोवाकिया यात्रा होगी। राष्ट्रपति की यह राजकीय यात्रा भारत, पुर्तगाल और स्लोवाकिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत और व्यापक बनाने का अवसर प्रदान करेगी और भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों को भी मजबूत करेगी।
]]>सीजफायर का उल्लंघन करने का आरोप
उन्होंने आगे कहा, “ये हमले आकस्मिक नहीं हो सकते – रूसियों को ठीक से पता है कि वे क्या कर रहे हैं। वे जानते हैं कि ये ऊर्जा सुविधाएँ हैं जिन्हें रूस द्वारा अमेरिकी पक्ष से किए गए वादे के तहत हमलों से बचाया जाना चाहिए। हर रूसी वादा मिसाइलों या ड्रोन, बम या तोपखाने के साथ टूट जाता है। कूटनीति का उनके लिए कोई मतलब नहीं है।” राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा कि युद्धविराम पहले ही हो सकता था, लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बार-बार इसे अस्वीकार कर दिया है। “इसलिए दबाव की आवश्यकता है – रूस पर पर्याप्त दबाव हो। युद्धविराम पहले ही हो सकता था – यह पुतिन हैं जो इसे अस्वीकार करते हैं, यह मास्को है जिसने 11 मार्च से युद्धविराम से इनकार कर दिया है। यह वे लोग हैं, जो रूस में हैं, जो यह युद्ध चाहते हैं।’
इस बीच, 23 से 25 मार्च तक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने सऊदी अरब के रियाद में रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों के साथ विशेषज्ञ-स्तरीय चर्चा की। ये द्विपक्षीय बैठकें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ उच्च स्तरीय चर्चा के बाद हुईं। वार्ता मुख्य रूप से काला सागर में सुरक्षा, वाणिज्यिक समुद्री गतिविधि की सुरक्षा, ऊर्जा अवसंरचना संरक्षण और स्थायी शांति को बढ़ावा देने के लिए व्यापक कूटनीतिक प्रयासों पर केंद्रित थी
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